Blog

भ्रष्टाचार मुक्त भारत का विकल्प ‘सत्य बहुमत’ – सत्यदेव चौधरी

भ्रष्टाचार मुक्त भारत का विकल्प ‘सत्य बहुमत’- सत्यदेव चौधरी

Web : www.satyabahumat.com
Email : [email protected]
http://www.facebook.com/satyabahumat

‘सरकार बनी, तो बह-ुमत किसकी?
जनता की या विजयी प्रत्याशियों की?’

भारत में भ्रष्टाचार है ये कहकर मैं अपने देश के स्वाभिमान को घटाना नहीं चाहता। मेरा देश भ्रष्टाचारियों का देश नहीं है व अधिकतम देशवासी भ्रष्टाचार में विश्वास नहीं रखते। लेकिन ये कैसे माना जाए कि देश की सरकारी व्यवस्था में भ्रष्टाचार नहीं है। किसी भी कारण से, नहीं चाहते हुए भी मैं स्वयं कई बार भ्रष्टाचार की चपेट में आ जाता हॅं। सत्य बहुमत के राजनीतिक विकल्प में भ्रष्टाचार, कालाधन व गरीबी का केवल एक कारण और भ्रष्टाचार, कालाधन व गरीबी को जड़ से समाप्त करने का भी केवल एक और केवल एक ही विकल्प जानने के लिए थोड़ा समय निकालकर मेरी कृति ‘सत्य बहुमत’ को पढ़ लें।

सत्य बहु-मत आखिर है क्या? सत्य बहु-मत यानि सही मायने में बहुमत । देखिए राजनीति का खेल। वर्तमान व्यवस्था में क्या है और सत्य बह-ुमत क्या है। वर्तमान व्यवस्था में संसद के कुल 543 सीटों की चुनाव में एक सांसद जनता द्वारा दिए गए सर्वाधिक मतों के कारण विजयी घोषित होता है । परंतु खेल विचित्र यूॅ है कि चुनाव जीतते ही सांसद महोदय को जनता के वोटों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। फिर सरकार बनाने केलिए संसद में विजयी सदस्यों की गिनती की जाती है न कि जनता द्वारा दिये गये मतों की। दूसरे शब्दों में जनता के वोटों की कोई गिनती इस खातिर नहीं की जाती , क्योंकि वास्तव में वर्तमान व्यवस्था मं जैसे जनता के मतों की कीमत नगण्य हेै। तो फिर बहु-मत की सरकार क्यों और बहु-सदसीय सरकार क्यों नहीं कहा जाता है?

क्या उपरोक्त विश्लेषण तर्क संगत और सत्य है? सत्य ये है कि यही सत्य है। सरकार बनाने केलिए, मान लें 543 सदस्यों के चुनाव में 300 विजयी घोषित सदस्यों को कठोर मुकाबले का सामना करना पडा और हजार दो हजार वोटों से विजयी होता है। दूसरी तरफ कम सदस्योंवाले दल के उम्मीदवार को 50 हजार व एक लाख मतों से विजयी घोषित किए गए। यदि ऐसे सदस्यों के कुल प्राप्त मतों को गिना जाए तो वो ये मत अधिक सदस्योंवाले दल के वनिस्पत कहीं अधिक होता है। परंतु अधिक मत मिलने पर भी उसको सरकार बनाने की इजाजत नहीं मिलती है। और कम मतों से विजयी हुए सिर्फ अधिक सदस्यों के कारण सरकार बनवा दिया जाता हेै। तो कहाॅं हुई बहु-मत की सरकार? ये तो हो गयी बहु-सदसीय सरकार। वास्तव में येे मिथ्या बहुमत हुई। जनता को गुमराह क्यों किया जाता है? जनता से वोट लेकर संसद में पहॅुचने के बाद जनता के आॅंखों में धूल झोंकने का सिलसिला सांसदों द्वारा कब तक चलाया जाता रहेगा? कब तक जनता मूक दर्शक बनकर अपने ही साथ अन्याय करती रहेगी? और न्याय के लिए गुहार लगाती रहेगी? क्या आजादी के सत्तर सालों के बाद भी जनता केा जाग नहीं जाना चाहिए? क्या वर्तमान में जीते हुए नेतागण जनता को मूर्ख नहीं बना रहे? क्या ऐसी व्यवस्था हमारे देश के अधिकांश जनता को प्रगति के राह पर ला सकती है? क्या जनता को ऐसी व्यवस्था के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाना चाहिए? ऐसे बहुत से प्रश्न है जिनका उत्तर जनता को ही देना है।

भारतवर्ष, राज्य हरियाणा जिला भिवानी गाँव बहल के किसान परिवार में मेरा जन्म हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में ही लेने के पश्चात कई माध्यमिक विद्यालयों से होते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री राम काॅलेज आॅफ काॅमर्स से बी.काम.आनर्स किया। बचपन से ही भ्रमण की रूचि ने लगभग सारे देश को देखने का अवसर दिया और देश से बाहर भी कुछ विकासशील देशों का भ्रमण किया। वर्तमान में वस्त्र निर्यात के उद्योग में रत रहते हुए अपनी, अपने समाज और देश की दयनीय दशा को देखकर ऐसे लगा जैसे हमारे देश में सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं है। केवल भ्रष्टाचार से ही सब कुछ जकड़ा हुआ है। मैंने भ्रष्टाचार, कालाधन व गरीबी का कारण केवल-भ्रष्ट बहुमत-की व्यवस्था को ही माना है। इसके बदले केवल -सत्य बहुमत- की व्यवस्था से ही भ्रष्टाचार, कालाधन व गरीबी को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।

मैंने बचपन से ही सुन रखा है कि हमारे देश के हर नागरिक को स्वतंत्र रूप से बोलने का, लिखने का और अपने विचारों को व्यक्त करने का मौलिक अधिकार है, इसी भरोसे भ्रष्टाचार के मूल कारण और एकमात्र समाधान अपनी बुद्धि और विचारों से बोलने के साथ साथ लिख भी दिया। कौन सा भ्रष्ट राजनेता -सत्य बहुमत- की व्यवस्था से असहमति जताकर मुझे, मेरे समाज और देश को कितना दंडित और अपमानित करने का प्रयास करेगा मैं नहीं जानता, लेकिन मैं इतना अवश्य जानता हूं कि भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त करने का उपाय केवल-सत्यबहुमत-ही है । निश्चित रूप से सत्य बहुमत की व्यवस्था स्थापित करवाकर भ्रष्टाचार मुक्त, सच्ची, ईमानदार और पारदर्शी सरकार का नेतृत्व देने में कहीं गलती नहीं करूंगा।
भारत का अतीत कितना महान, कितना समृद्ध, कितना शक्तिशाली, संस्कृत व प्रांतीय भाषाओं के ओज से लबालब, कितना स्वस्थ, कितना स्वच्छ, कितना प्राकृतिक व भू संपदा का धनी, कितना आघ्यात्मिक, कितना न्याय संगत था। हमारे पूर्वजों के ज्ञान, सच्चाई, ईमानदारी, देशभक्ति व निस्वार्थ भाव से जीने के मार्ग को देश की सारी जनता ने स्वीकार किया हुआ था। हम विश्व के सबसे अधिक शक्तिशाली और गौरवशाली राष्ट्र होने के साथ-साथ हमारी सभ्यता व संस्कृति का डंका पूरे विश्व में बजता था, आज इन सब विशेषताओं से देश खाली सा लगता है।

भले ही हमारे राजनेता विकास के कितने भी सुंदर आंकडे़ दिखाएं, आज हमारा देश भ्रष्टाचार, गरीबी, बीमारी, गंदगी, बेरोजगारी, महंगाई और मिलावट से ग्रस्त है। अतीत और आज के बीच कौन सा मुगल, कौन सा अंग्रेज हमारे देश को कितना और कैसे लूटकर ले गया, और हमने कैसे उसे होने दिया, बहुत ही आश्चर्य की बात है! इससे भी अधिक आश्चर्य इस बात का है कि जितना एक हजार वर्षों में मुगल और अंगे्रज जो विदेशी आक्रमणकारी थे नहीं लूट पाए, आजादी के बाद केवल 65 वर्षों में हमारे अपने ही देश के भ्रष्ट नेताओं ने उससे भी कई गुना लूट लिया। इसके पश्चात भी देश की अधिकतम जनसंख्या सच्ची, ईमानदार और देशभक्त है। चंद भ्रष्ट राजनेताओं के कारण असहनीय गरीबी और दरीद्रता का जीवन जीते हुए भी देश के नागरिक सहनशील हैं। आज समूचा देश कुछ भ्रष्टाचारियों को छोड़कर भ्रष्टाचार से मुक्ति पाने का विकल्प ढूंढ रहा है।

कितने लाख देश भक्तों ने अपनी जान लुटा कर देश को अंग्रेजों की गुलामी के चंगुल से निकाला था। लेकिन स्वतंत्र होने के पश्चात् भी हम फिर प्रजातंत्र के नाम पर -भ्रष्ट बहुमत- के चक्रव्यूह में फंस गए और देश भ्रष्टाचार के रूप में चारों तरफ से लुटने के साथ साथ हर जन कितना भी कैसा भी भ्रष्ट बन गया। वर्तमान प्रजातंत्र में ये किस प्रकार के बहुमत की व्यवस्था है जिसमें देशवासी या तो गरीब हैं या भ्रष्ट, 121 करोड़ की जनसंख्या में एक भी ऐसा ढूंढ कर दिखाओ जो या तो गरीब नहीं है या भ्रष्ट नहीं है। देश की दो तिहाई से अधिक जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है, ईमानदारी, सच्चाई मानो लुप्त ही हो गई हो, खाद्य पदार्थों में मिलावट का बोलबाला है, महंगाई, बेरोजगारी आसमान पर है, आजादी के बाद कुछ राजनेताओं को मानो प्रजातंत्र व बहुमत के नाम पर देश को लूटने का प्रमाणपत्र मिल गया हो। स्वाभिमान व गर्व से जीने का मार्ग केवल सच्चे प्रजातंत्र और बहुमत से ही निकलता है, इसलिए मैं सच्चे प्रजातंत्र और बहुमत की व्यवस्था का तनिक भी विरोध नहीं करता, अपितु 100 प्रतिशत से भी अधिक इस व्यवस्था का समर्थन करता हूं। लेकिन कुछ भ्रष्ट राजनेताओं द्वारा प्रजातंत्र और बहुमत का अर्थ व प्रयोग दोनों ही कुछ इस तरह से किए गए कि देश के गरीबों की गरीबी मिटनेे के बदले केवल भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार पूरे देश में स्थापित हो गया। ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार के बिना जिंदगी जी नहीं सकते। ऐसा क्यों और कैसे हुआ । आजादी के बाद हमारे नेताओं ने, प्रजातंत्र व निष्पक्ष चुनावों को आधार मानते हुए बहुमत की सरकार से शासन करना तय किया। हमने ही वर्तमान प्रजातंत्र और बहुमत को स्वीकृ ति देकर कानून से प्रमाणित किया हुआ है। लेकिन बहुमत और प्रजातंत्र का अर्थ ठीक से समझना होगा और प्रयोग भी ठीक से ही करना होगा। कुछ भ्रष्ट व स्वार्थी राजनेता तो इसका अर्थ ठीक से समझने में व प्रयोग करने में कोई रूचि नहीं लेंगे, क्योंकि आज के ये नेता उन्हीं नेताओं की सन्तानें हैं और उन्ही नेताओं की बनाई हुई लकीरों में अटूट विश्वास रखते हैं जिन्होंने बहुमत व प्रजातंत्र का अर्थ हमारे संविधान की रचना करने वालों से ऐसे सुनियोजित षड़यंत्र से करवा दिया जिससे सत्ता के अधिकारी केवल उसी राजनीतिक दल के नेता ही रह सकें जो सबसे अधिक भ्रष्टाचार करने में माहिर हों। कानून की दृष्टि में तो प्रजातंत्र व बहुमत का कोई भी दुरूपयोग नहीं हुआ, लेकिन हर स्थिति में केवल उसी राजनीतिक दल के नेता ही सत्ता में आ सकते हैं जो भ्रष्टाचार में निपुण और सबसे अधिक भ्रष्टाचार करने के विशेषज्ञ हों।

परिवर्तन होने पर भी हमारी व्यवस्था भ्रष्टाचार मुक्त न होने का कारण है राजनीतिक दलों के पास भ्रष्टाचार द्वारा अपार धनबल व बाहुबल की शक्ति के उपयोग से भ्रष्ट बहुमत प्रमाणित करने में सफल हो जाना। भले ही बहुमत को प्रमाणित करने में कितना भी भ्रष्टाचार किया, लेकिन बहुमत प्रमाणित करके सत्ता पर कब्जा करने में सफलता पा लेते हैं। फिर भ्रष्टाचार करने का प्रमाणपत्र बहुमत से मिल गया। भ्रष्टाचार से बहुमत, बहुमत से भ्रष्टाचार का सिलसिला निरंतर चलता रहता है। इस भ्रष्टाचार बहुमत में सच्चाई, ईमानदारी व सुव्यवस्था दूर-दूर तक दिखाई नही पड़ती ठीक उसी प्रकार जैसे ग्रीष्म ऋतु की रेत में दूर से पानी दिखाई देने पर पानी को पकड़ने के लिए निरंतर दौड़ते रहने के पश्चात भी पानी पकड़ में नहीं आता, पानी हो तो पकड़ में आएगा ना। वैसे ही भ्रष्ट बहुमत के बोलबाले में, सच्चाई ईमानदारी कहीं बची होगी तो दिखाई देगी ना। हमारे संविधान में बहुमत व प्रजातंत्र का प्रयोग ठीक इसी मृगतृष्णा का प्रकार है। वर्तमान भ्रष्ट बहुमत की रेत में पानी की तरह भ्रष्टाचार को पकड़ने का प्रयास करते रहो लेकिन पकड़ पाना असम्भव है, पकड़ने का प्रयास करते करते थक कर गिर जाते हैं लेकिन भ्रष्टाचार का पानी न तो पकड़ा जाता है और न ही दिखना बन्द होता है। भ्रष्टाचार को समाप्त करने में सफलता तभी मिलेगी जब प्रजातंत्र व बहुमत का अर्थ और प्रयोग दोनों संवैधानिक रूप में बिल्कुल सच्चे और सही हो जाएंगे।
अब प्रश्न उठता है कि भ्रष्ट बहुमत की व्यवस्था से और सत्य बहुमत की व्यवस्था से सरकार बनाने में क्या गुण दोष हैं। मेरे विचार में सदस्यों के बहुमत की व्यवस्था केवल दोषों का ही ढेर है, यदि लाभ है तो केवल उसी राजनीतिक दल के परिवार को है जो सबसे अधिक भ्रष्टाचार के दम पर भ्रष्ट बहुमत से सरकार बनाने में सफल हो जाते हैं। चाहें तो कितनी भी लम्बी सूची दोषों की बनाई जा सकती है लेकिन कुछ इस प्रकार के दोषों पर चिन्ह लगाए जा सकते हैंः

1. सरकार बनाने के लिए चुनावों से पहले ही गठबंधनों का प्रबंधन होने लगता है। भ्रष्टशासक अयोग्य व्यक्तियों को महत्वपूर्ण सरकारी पदों व मंत्रालयों को गठबंधन करने के लिए ऐसे बांटते है जैसे वे स्वयं देश के मालिक हों। अनेकों प्रकार के अनुचित प्रलोभनों द्वारा केवल भ्रष्ट बहुमत को और अधिक मजबूत बनाने में ही हमारे भ्रष्ट शासक लगे रहते हैं। देशहित की बात करने का समय ही नहीं मिलता।
2.नकारात्मक योजनाओं की घोषणा करके सरकारी खजाने को लूटा जाता है।
3.राजनीति का एकाधिकार केवल कुछ भ्रष्ट राजनेताओं के पास ही रह जाता है। मतदाता तो मत देकर या मत न देकर अलग थलग पड़ जाते हैं।
4.वर्तमान भ्रष्ट बहुमत की व्यवस्था से अंगे्रजों की गुलामी का अनुसरण करने वाली सरकारों ने देश की भाषा, संस्कृ ति, सभ्यता व मर्यादा, शिक्षा और चिकित्सा पद्धति का सुनियोजित ढंग से सत्यानाश किया है।
5.गोबर पर आधारित कृषि को रासायनिक कृषि में बदल कर सभी खाद्य पदार्थों में मिलावट व जहर भर दिया। परिणामस्वरूप हर व्यक्ति रोगी हो गया।
6.घरेलू उद्योगों को समाप्त करके हर दिशा में उद्योग और व्यापार नीतियां विदेशी कंपनियों के हवाले कर दी गईं।
7.धर्म के नाम पर आपस में घृणा फैलाकर लड़वाओ और राज करो की नीति को बल मिला।
8.वास्तव में भ्रष्टाचार व कालाधन, गरीबी व धृणा का जन्म गठबंधन के भ्रष्ट बहुमत से ही हुआ।
9.वर्तमान भ्रष्ट व्यवस्था के कारण ही भ्रष्ट सरकार के राजनेताओं ने देश की वन संपदा, खनिजों, धरती व नदियों की प्राकृ तिक सुंदरता लूटकर नष्ट करने के साथ साथ वीरान कर दिए। हर खाद्य पदार्थ में मिलावट व कमी, शिक्षा में जवान विद्यार्थियों के चरित्र में पतन, महंगाई आसमान से भी ऊंचे, कृ षि और उद्योगों के उत्पादन में गुणवत्ता की भारी गिरावट, और क्या क्या गिनवाऊं, हो जाने के पश्चात भी हमारे प्रधानमंत्री और सŸााधारी राजनीतिक दल के अध्यक्ष को अर्थ व्यवस्था की उन्नति के नए नए आंकड़े प्रस्तुत करने में लज्जा नहीं आती। केवल भ्रष्ट बहुमत की व्यवस्था के कारण ही पूरे विश्व में सोने की चिड़िया से जाना जाने वाला देश आज भिखारियों की तरह आलू प्याज बैंगन बेचने के लिए भी विदेशियों के आगे चंद डाॅलरों की भीख मांग रहा है। और मैं ये भी बता दूं कि कोई भी विदेशी इतना मूर्ख नहीं है कि अपने देश में पूंजी की भारी कमी होने के बावजूद भी दूसरे देश में डाॅलरों का नकारात्मक निवेश करेगा। निश्चित ही जिस धन को हमारे भ्रष्ट राजनेताओं ने देश की गरीब जनता से लूटकर विदेशों में पहंुचा रखा है उसी धन को फिर सुनियोजित षड़यंत्र से वापस लाने का एक प्रयास हो रहा है।

सत्य बहुमत की व्यवस्था से सरकार गठन करवाने में दोष तो संभवतः ढूंढने से भी नहीं मिलेगा और गुण ही गुणों से भरपूर होगी सत्य बहुमत की नई व्यवस्थाः
1.भ्रष्टाचार जड़ से समाप्त हो जाएगा। जब भ्रष्टाचार की आवश्यकता नहीं होगी तो भ्रष्टाचार होगा ही क्यों? एक चुने हुए सदस्य को भ्रष्ट बनाना बहुत सरल है लेकिन हर मतदाता को भ्रष्ट बनाना असंभव है।
2.बहुत शीघ्र ही राजनीतिक दल केवल दो दलों में रह जाएंगे। स्वतंत्र रूप से कितने भी राजनीतिक दलों को चुनाव लड़ने का अधिकार होने के पश्चात भी, यदि किसी राजनीतिक दल के सरकार बनाने की सम्भावना नहीं है तो वो राजनीतिक दल केवल हारने के लिए चुनाव क्यों लड़ेगा। जिस प्रकार छोटा झरना बड़े झरने में, बड़ा झरना छोटी नदी में, छोटी नदी बड़ी नदी में, बड़ी नदी और बड़ी नदी में और अंत में कितनी भी बड़ी नदी सागर में मिल जाती है, ठीक उसी प्रकार समानान्तर विचारों वाले छोटे राजनीतिक दल बड़े राजनीतिक दल में मिलकर सागर जैसा गम्भीर, शांत, विशाल और समानान्तर बनकर देश को शक्तिशाली बनाने में सफल होंगे । इसका ये अर्थ कदापि नहीं है कि सत्य बहुमत की व्यवस्था केवल एक राजनीतिक दल में ही बदलकर रह जाएगी। जिस प्रकार पृथ्वी के हर ढलान पर छोटा या बड़ा झरना, छोटी या बड़ी नदी, और अनेकों सागर हैं उसी प्रकार हर विचारधारा में अनेकों राजनीतिक दलों का अस्तित्व रहेगा। यदि हमारे देश में और फिर पूरे विश्व में मानव कल्याण के लिए सागर की तरह सभी राजनीतिक दलों का रूप एक हो जाए तो क्या कोई और स्थिति इससे श्रेष्ठ हो सकती है। जिस दल की विचारधारा जिससे मिलेगी उसमें विलीन हो जाएगा और अपने आप ही मुख्य रूप से केवल दो राजनीतिक दल ही शेष रह जाएंगे।
3.धर्म, जाति, भाषा व आरक्षण के आधार पर चुनाव करवाने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। सभी को समान रूप से बिना पक्षपात के लाभ मिलेगा।
4.प्रांतवाद की राजनीति को प्रोत्साहन नहीं मिलेगा। मैं प्रांत के शक्तिशाली होने का विरोध नहीं कर रहा हूं, परन्तु कुछ समय के लिए किसी भ्रष्ट नेता की स्वार्थ सिद्धी के लिए प्रांत केवल राजनीतिक रूप से शक्तिशाली बन जाए और प्रांत के विकास की राजनीति कमजोर पड़ जाए परिणामस्वरूप देश की राजनीति व विकास दोनों ही सदा सदा के लिए कमजोर पड़ जाएं, तो क्या ये स्थिति देशवासियों को स्वीकार है? इसी स्थिति के कारण ही प्रांतों का विकास नहीं हो पाया। देश यदि राजनीतिक और आर्थिक रूप से शक्तिशाली होगा तो प्रांत भी अपने आप ही शक्तिशाली हो जाएंगे। प्रांत के शक्तिशाली होने से कहीं आवश्यक है देश का शक्तिशाली होना। केवल राजनीतिक स्वार्थ साधने के लिए ही पिछले कुछ वर्षों में भारत के कितने राज्यों के टुकड़े करवा दिए गए और आज भी आए दिन राज्यों के टुकड़े करवाने की राजनीति देश को कमजोर करने का खेल खेलती रहती है। यदि राजनीतिक रूप से प्रांत को शक्तिशाली बनाने की राजनीति चलती रही तो वो दिन दूर नहीं जब देश के टुकड़े करवाने की भी राजनीति खेल खिलाना आरम्भ कर देगी।
5.केवल अच्छे कार्यक्रमों व योजनाओं को करके दिखाने की प्रतिस्पर्धा होगी न कि केवल घोषणाओं की। केवल योग्य उम्मीदवार ही चुनावों में उतारे जाएंगे न कि खूनी, बलात्कारी, चोर, डाकू व अन्य अपराधिक मामलों में लिप्त, क्योंकि मतदाता अपना मत योग्यता के आधार पर करेगा न कि धनबल और बाहुबल के आधार पर।
6.एक एक वोट भी जीतने के लिए महत्वपूर्ण होगा तो योजना व कार्यक्रम भी एक एक वोटर के हित में होगी।
7.अधिक से अधिक मतदान अपने आप ही होने लगेगा। वोट करने के लिए किसी प्रकार के विज्ञापनों को करने की आवश्यकता नहीं होगी। जो मतदाता मत नहीं करते वो भी स्वयं मत करने के इच्छुक होकर मत करेंगे।
8.वोट करवाने के लिए सैनिक बल, अतिरिक्त सुरक्षा बल व अधिक सुरक्षा की दृष्टि से प्रबंधों की आवश्यकता नहीं होगी। कितना सरकारी धन लुटने से बचेगा अनुमान लगाना भी कठिन है।
9.आतंकवाद, और उग्रवाद से भी पीछा छुटेगा। हर वर्ग के लोगों का वोट पाने के लिए न्याय संगत योजनाएं बनानी ही पड़ंेगी।
10.वोट बैंक के लिए सुनियोजित ढंग से दंगे फसादों का प्रायोजित होना एकदम से समाप्त हो जाएगा। न हिन्दु मुसलमान से और न ही मुसलमान हिन्दु से घृणा करेगा, बिना कारणों के झगड़ों का अन्त होगा। आपस में भाईचारा, सौहार्द, प्रेम, सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
11.हर नागरिक के विचार स्वतंत्र व निडर होंगे। कानून व न्याय की प्रक्रिया हर देशवासी के लिए लोकप्रिय होगी।
12.हमारी अर्थव्यवस्था सही मायने में विश्व स्तर की होगी न कि केवल आंकड़ों में, उन्नति का असर एक एक नागरिक को अनुभव होगा।
13.महंगाई, मिलावट, रिश्वतखोरी, चोरी चपाटी से छुटकारा मिलेगा। देश निरोगी होगा।
14.शिक्षा नीति, कृषि नीति, जल प्रबंधन, स्वास्थ्य नीति, उद्योग नीति, कर नीति में व्यापक सुधार होगा व देश शीध्र ही स्वच्छ, सुंदर और सुदृढ़ देखने को मिलेगा।
15.वास्तव में सही प्रजातंत्र से देश में एकता, अखंडता, भाईचारे की नींव पक्की होगी। एक सही मायने में भारत अखंड होगा व हर नागरिक सच्चा, ईमानदार, और मेहनत की प्रतिस्पर्धा में जुट जाएगा।
16.आज भ्रष्टाचार के विरोध में सभी जगह लोग खुलकर बोलते हुए तो दिखाई व सुनाई पड़ते हैं लेकिन कुछ करने की दिशा में केवल नकारात्मक, निरर्थक व निराशा की स्थिति ही देखने और सुनने को मिलती है। सत्य बहुमत की व्यवस्था होने पर हर जन केवल सकारात्मक, सार्थक व आशावादी ही देखने और सुनने को मिलेंगे। देश एक सही दिशा में होगा। देश की अपार ऊर्जा बर्बाद होने से बचेगी व अनमोल समय समाज कल्याण के अच्छे कार्यक्रमों में लगेगा और बहुत शीघ्र ही देश विश्व में सबसे अधिक शक्तिशाली व विकासशील राष्ट्र के रूप में निखर कर आएगा।
17.सत्य बहुमत की व्यवस्था होने से हर चुनावी दल के नेता को केवल अच्छे कार्यक्रमों की मात्र घोषणा नहीं अच्छे कार्यक्रमों को करके दिखाना होगा। नेता का सीधा संपर्क वोटरों से होगा। वोटर भी सुरक्षित होंगे न कि आज की तरह केवल नेता। भ्रष्ट बहुमत को देखें तो एक भी गुण ढूंढने से नहीं मिलता और सत्य बहुमत की व्यवस्था में एक भी अवगुण खोजने से भी नहीं मिलेगा।

‘सत्य बहु-मत की जंग,
मिलकर जनता के संग,
करेंगे कुव्यवस्था को भंग।
‘सत्य बह-ुमत सरकार का संकल्प
भ्रष्टाचार मुक्त भारत का विकल्प
से होगा जनता का कायाकल्प’

यदि आप सोचते हैं कि केवल सत्य बहुमत की व्यवस्था ही भ्रष्टाचार, कालाधन व गरीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए एकमात्र विकल्प है, तो फिर देर किस बात की, उठो और अभी से लग जाओ सत्य बहुमत भावना को सफल बनाने के लिए। आने वाले परिणामों को देखकर समूचा विश्व आश्चर्यचकित रह जाए और देख ले भारतवर्ष के गरीबों की क्रांति को जो बिना किसी हिंसा के, बिना समय बर्बाद किए, किसी धन के बिना खर्च किए सफल हुई। जमाने को ये देखकर और भी आश्चर्य होगा कि कैसे एक साधारण से व्यक्ति की बुद्धि में -सत्य बहुमत- का विचार आया और कैसे -सत्य बहुमत- की भावना को गरीबों की सहायता से सफल बनाने में सफलता प्राप्त की, और देखते ही देखते भ्रष्ट बहुमत की राजनीति को कैसे चित कर दिया जाएगा, अपनी आंखों से देख लेना कितना सुंदर व समृद्ध था हमारे भारत का अतीत, इसी मनोहर रूप की पुनःस्थापना के आशय से हम आगे बढें । जनता के उत्तर के इंतजार में …
सत्यदेव चोैधरी
‘ एक युद्ध, मिथ्या बहु-मत के विरूद्ध’
****


free vector

86 Responses to भ्रष्टाचार मुक्त भारत का विकल्प ‘सत्य बहुमत’ – सत्यदेव चौधरी

  1. Pingback: elo job lol

  2. Pingback: Guns For Sale Online

  3. Pingback: Energy Rates

  4. Pingback: More about the author

  5. Pingback: good cvv sites

  6. Pingback: Money loans

  7. Pingback: anti screenshot blocker

  8. Pingback: Darknet Marktplätze

  9. Pingback: kardinal stick

  10. Pingback: order dmt vape pens online for sale overnight delivery cheap https://thepsychedelics.net/

  11. Pingback: relx

  12. Pingback: buy psychedelic mushrooms online

  13. Pingback: Mail order LSD

  14. Pingback: Paket Honeymoon Bali

  15. Pingback: TKO Extracts is a recreational cannabis & Medical Marijuana Online Dispensary

  16. Pingback: junk removal near me

  17. Pingback: Dark0de Market Link

  18. Pingback: Dark0de Market

  19. Pingback: buy hydrocodone 10mg online without prescription

  20. Pingback: for more information

  21. Pingback: social media jobs online work from home

  22. Pingback: สล็อตเว็บตรง

  23. Pingback: https://www.ktvn.com/story/45176209/best-essay-writing-services-of-2021-in-depth-expert-review

  24. Pingback: sbo

  25. Pingback: bingo dumps

  26. Pingback: gender surgery

  27. Pingback: https://tontonmania123.com/

  28. Pingback: stonepen

  29. Pingback: darkfox market

  30. Pingback: คาสิโนออนไลน์เว็บตรง

  31. Pingback: valid shop cvv

  32. Pingback: mejaqq66id.club

  33. Pingback: find local sexy girls wanting sex

  34. Pingback: bettilt giris

  35. Pingback: en iyi casino siteleri

  36. Pingback: Plumber Sydney

  37. Pingback: Car dealership security

  38. Pingback: บาคาร่า1688

  39. Pingback: hoteles baratos

  40. Pingback: oscam

  41. Pingback: ถาดกระดาษ

  42. Pingback: deep web credit card dumps

  43. Pingback: homerite maryland

  44. Pingback: car dealership surveillance

  45. Pingback: สล็อตวอเลท ไม่มีขั้นต่ำ

  46. Pingback: superslot เครดิตฟรี 50 ไม่ต้องแชร์ล่าสุด

  47. Pingback: 性別適合手術

  48. ondas de choque disfuncion erectil [url=https://comprarcialis5mg.org/it/]cialis generico[/url] como tratar la disfuncion erectil [url=https://comprarcialis5mg.org/it/cialis-5mg-prezzo/]cialis 5 mg prezzo[/url]

Leave a Comment

Name

Email

Website