Blog

रघुवीर सहाय की कविताओं में मानव-अधिकारों के उल्लंघन का खण्डन

के. सुवर्णा,

शोधार्थिनी, हिन्दी विभाग,

अंध्र्य विश्वविद्यालय, विशाखपट्टणम, आन्ध्र प्रदेश

 

स्वतंत्र्योत्तर युगीन महान हिन्दी और  लेखक के रूप में रघुवीर सहाय जाने जाते है। इनकी कव्विताओं में सामाजिक यथार्थ के प्राति कवि की जागरूकर्ताी सामयिक स्थितिओं का अंकन करनो की क्षमता और मानव मल्यों का समर्थन करने की विशेष प्रवृत्ति परिलक्षित होती है। एक ईमानदार सजग और संवेदनशील कवि होने के कारण रघुवीर सहाह ने अपनी कविताओं में सामाजिक दुराचारों का खण्डन किया और सांस्कृतिक विघटर्नी मूल्य हीनर्ताी भष्टाचार्री सरकारी घोषणाओं की  सामाजिक विसंगतियों को उजागर किया है।रघुवीर सहाय की कविताएँ आठ संकलनों के रूप में प्रकाशित हुई हैंदृ दूसरा सप्तर्की सीढियों पर घूप र्में आत्महत्या के विरुद्र्धी  हँसो हँसो जल्दी हँर्सोी लोग भूल गये हैं कुछ पते कुछ चिट्ठियां एक समय थी और यह दुनिया बहुत बडी र्हैी जीवन लंबा है।यथार्थ से संतृप्त कवि रघुवीर सहाय की संवेदना व्यक्र्तिी समार्जी राष्ट्र और विश्व के स्तर पर मानवीय मुल्यों की स्थापना केलिए सामाजिक सोच को विकसित करती हैं।

‘दूसरा सप्तक’ मे संकलित रघुवीर सहाय की कविताओं में मानव मूल्यों की प्रतिष्ठा का आग्रह सामाजिक यथार्थ की अभिव्यक्ति प्रवृत्ति और व्यक्तिगत जीवन में समझौतों का समन्वय पाया जाता है। ‘सीढियों पर घूप में’ संकलन की कविताएँ कवि रघुवीर सहाय ने लोगों की निष्क्रियता एवं दोहरेपन की चर्चा करते हुए सामाजिक जीवन की व्यस्थर्ताी ऊर्बी अकेनापन और पराजय बोध का चित्रिण किया है। ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ की कविताओं में जीवन की वास्तविकता और समाज की अनेक विसंगतियों का यथार्थ चित्रण करते हुए कवि ने सामाजिक जीवन में मूल्य दृहनन की चिंता प्रकट की है और सामाजिक विडंबनाओं का परदा फॉस किया है। ‘हँसो हँसें जल्दी हँसो” संकलन की कविताओं में नारी समस्याओं तथा समाज की नैतिक पतनावस्था का चित्रण किया है। ‘लोग भूल गये हैं’ संकलन की कविताओं में  गरीबों की लाचार्रीी धनिकवर्ग की यथार्थर्ताी यातनापूर्ण नारीदृजीवर्नी पाश्चात्य सभ्यता के मोह में भारतीय संस्कृति एवं जीवन मूल्यों की उपेक्षा करने की प्रवृत्ति और अर्थदृसंस्कृति के व्यापक प्रभाव के नेपथ्य में हिंस्रक प्रवृत्तियों को अपनाने वालों की करकूतों का यथार्थ अंकन किया गया हैं। ‘कुछ पते कुछ चिट्टयाँ’ शीर्षक संकलन की कविताओं में कवि ने अत्यंत सहज रूप से मानवीय संबंधों का चित्रण किया है। ‘एक समय था’ संकलन की कविताओं में व्यक्ति के आंतरिक जीवन का अंकन करते हुए कवि ने अपनी साधना के अंतिम चरण में मूल्यों की कसौटी पर संबंधों का विश्लेषण किया है।युगीन विसंगतियों का यथार्थ अंकन करनेवाली इनकी कविताओं में कवि के विशिष्ट चिंतन के अनमोल तत्व मिलते है। मानव मूल्यों के प्रबल समर्थक कवि रघुवीर सहाय ने ‘आत्महत्या के विरुद्ध’ शीर्षक संकलन की कविताओं में मजदूरों के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त की है।शोषण का अंत करने और समाज के दीनदृदुखियारों की मदद करने की माँग करते हुए ‘अखबार वाला’ कविता में कवि लिखते हैं।

राजधानी से कोई कस्बा दोपहर बाद छटपटाता है

एक फटा कोट एक हिलती चैकी एक लालटेल

दोर्नों बाप मिस्तरी और बीस बरस का नरेन

दोर्नों पहल से जानते हैं पेंच की मरी हुई चूडियाँ

नेहरुदृयुग के औजारों को मुसद्दीलाल की सबसे बडी देन। 1

 

जो पारंपरिक मूल्य समाज की प्रगति को अवरुद्ध करते  र्हैी ऐसे मूल्यों का बहिष्कार करने की माँग करते हुए रघुवीर सहाय ने विकासशील एवं स्वस्थ मूल्यों की भित्ति पर समाज के स्वरूप को बदलने की कामना प्रकट करते हैं।

कभी-कभी दुनिया को फिर से बनाने के वास्ते

कागज पर योजना करता हूँ, कुछ नई पोशाकें,

कुछ नये फर्नीचर, कुछ नये फूल, कुछ कीड़े मकोड़े। 2

 

रघुवीर सहाय ने अपनी कविताओं में मानव-जीवन की श्रेष्ठता का प्रतिपादन किया है।वे मानते है कि मनुष्य में बहुत सारी शक्तियाँ हैं, जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति भी है और वह त्याग और बलिदान की प्रतिमूर्ति हैं।

वह मानव जिसमें पत्थर की सी क्षमता है,

चुपचाप थपेडों को सह लेने की ताकत

लेकिन मिट्टीसा धुल जाने की भी आदत

इसलिए लहर की अधिक उसी में ममता है। 3

 

कवि रघुवीर सहाय चाहते हैं कि व्यक्ति को अपने अधिकारों के प्रति सतर्क रहना चाहिए।हर एक व्यक्ति को जीवन में कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है परंतु इनसे घबराकर जीवन को बोझ नहीं समझना चाहिए। जीवन में कई उतार-चढाव आते रहते हैं।स्वस्थ एवं चिरंतर मूल्यों में आस्था रख कर व्यक्ति को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए।मूल्यों में आस्था व्यक्ति को शक्ति को प्रदान करती है।

हम ठौर नहीं मिलता है काई दिल को

हम जो पाते हैं उस पर लुट जाते हैं।

क्या यहीं पहुँचना होता है मंजिल को?

हमको तो अपने हक सब मिलने चाहिए

हम तो सारा का लेंगे जीवन

‘कम से कम’ वाली बात न हमसे कहिए। 4

 

पीड़ित, शोषित, गरीब एवं दुखी व्यक्तियों के प्रति सहानुभूति की भावना रखना, हर एक सामाजिक का कर्तव्य है। प्रेम-एकता और मैत्री की भावना समाज में संवेदनात्मक मूल्यों के कारण हो सकती है।मजदूर और किसानों के परिश्रम से ही देश उन्नति करता है। कवि चाहते हैं कि पीडितों के प्रति सहानुभूति व्यक्त कर न की स्थिति में सुधारलाने का प्रयत्न करना हमारा कर्तव्य है।

धधकती धूप मं रामू खडा है

खडा सुलमुल में बदलता पाँव रह रह

बेचता अकबर जिसमें बडे सौदे हो रहे हैं

खबर वतानुकूलित कक्ष में तय कर रही होगी

करेगा कौन राम के तेल की भूमि पर कब्जा।5

 

अपने साथी कलाकारों और साहित्यकारों से रघुवीर सहाय ने ऐसे मूल्यों की स्थापना करने की दिशा में जन-चेतना को जागृत करने को कहा, जो समाज के लिए कल्याणकारी हों।इस बात को लेकर वे चिंता प्रकट करते हैं कि जिन रचनाकारों का कार्य समाज को सही दिशा दिखाना होता होता है वे साहित्यकार गरीबी और गुलामी के बारे में नहीं सोच रहे हैं।

क्यों कलाकार को नहीं दिखाई देती

गंदर्गीी गरीबी और गुलामी से पैदा?

आतंक कहाँ जा छिपा भाग कर जीवन से

जो कविता की पीडा में अब दिख नहीं रहा ?

हत्यारों के क्या लेखक साझीदार हुए

जो कविता हम सबको लाचार बनाती है ? 6

 

रघुवीर सहाय मानते है कि समाज में किसानों को आदर मिलना चाहिए। दिन-रात मेहनत कर जो किसान हमें भर पेट खाना खिलाता है उनकी समस्याओं को दूर करने में संबंध में सोचना हमारा कर्तव्य है। वे लिखते हैंः

त्यागी है औ तपसी है मजूर महान है

देश का दुलारा है और भारत की शान है

और ये किसान तो जाने भगवान है

दिल न दुखाना भाई किसी का जमाने में।

 

कवि रघुवीर सहाय ने युगीन परिवेश का सूक्ष्म निरीक्षण किया और विघटित मानव मूल्यों को करीब से देखा। मानव-मूल्यों के हनन के कारण सांप्रदायिक दंगे होने लगी, आतंकवाद का विस्तार होने लगा, पड़ोसी देशों के साथ युद्ध भी होने लगे।

माधुर है किन्तु मानव से सदा व्यवहार मानव का

माधुर है किन्तु करुणा से भरा संसार मानव का

तुम्हारे भी कभी कुछ क्षण रूदन में बीतते होंगे।

सुनाता हूँ इसी से तो तुम्हें वह वेदना मन की।

 

उक्त कविता में रघुवीर सहाय ने स्पष्ट किया है कि मानव भले ही छल, धोखा, प्रलोभन, हिंसा आदि कुकृत्यों से क्रूर बन गया हों परंतु उसका मानवीय व्यवहार की समाप्ति नहीं हुई है।सदा से मानव जाति से मधुर संबंध बनाये हुए है। विश्व युद्धों की विकारालता उसे उसके नैसर्गिक गुण से वंचित नहीं करेंगी। मानव संसार सदा करुणा से भरा हुआ है और वह करुणा स्थायी मूल बन कर व्याप्त रहेगी।   कवि रघुवीर सहाय ने अपनी कविताओं में मानवता विरोधी तकतों की निंदा की है।बच्चों की कई समस्याओं का कवि ने चित्रण किया है।निर्धन और निम्न वर्ग के लोगों को उपेक्षा की दृष्टि से देखने वाले भारतीय समाज की आलोचना करते हुए कवि ने अत्याचारों के शिकार बने लोगों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट की है। इनकी कविताओं के केन्द्र में मानव मूल्य हीन राजनीति को युगीन अव्यवस्था के कारक के रूप में कवि मानते है एक संवेदनशील कवि होने के कारण मानवीय संबंधों को सूक्ष्मतप्र परखने की शक्ति रघुवीर सहाय को प्राप्त हुई है। नारी-मुक्ति एवं नारी-शक्ति का उन्होंने समर्थन किया है। निर्धनता और बेकारी की समस्या को दूर करने की माँग की है। राजनीतिक अवसरवादिता और दल-बदल नीति का खण्डन किया है। कला को व्यावसायिक साधन मानने की प्रवृत्ति की इन्होंने निंदा की है। मानव संबंधों की शिथिलता पर शोक प्रकट किया है। मानव-जीवन की श्रेष्ठता को प्रतिपादित करने की दृष्टि से रघुवीर सहाय की कविताएँ विशिष्ट प्रमाणित हुई हैं।

 

संदर्भ सूची ग्रन्थ:

1   रघुवीर सहाय – आत्महत्या विरुद्ध – पृष्ठ संख्या -86

2   रघुवीर सहाय – कुछ पते कुछ चिट्टियाँ – पृष्ठ संख्या -46

3   रघुवीर सहाय रचनावली  – सं. सुरेश शर्मा – पृष्ठ संख्या -456

4   रघुवीर सहाय – सीढ़ियों पर धूप में – पृष्ठ संख्या -109

5   रघुवीर सहाय – कुछ पते कुछ चिट्टियाँ – पृष्ठ संख्या -75

6   रघुवीर सहाय – रचनावली  – सं. सुरेश शर्मा – पृष्ठ संख्या -45

 

 


free vector

160 Responses to रघुवीर सहाय की कविताओं में मानव-अधिकारों के उल्लंघन का खण्डन

  1. Pingback: http://tinderentrar.com/

  2. Pingback: http://tinderentrar.com

  3. kamagra О±ОіОїПЃО± [url=https://kamagraaustralia.quest/#]sildenafil citrate [/url] kamagra oral jelly vs pill kamagra 100 mg oral jelly how to use

  4. diltiazem xr 120 [url=http://cardizem.shop/#]cardizem la 180 mg [/url] is diltiazem contraindicated in osteoporosis what is the difference between losartan and diltiazem

  5. электрический штабелер
    [url=https://elektroshtabeler-kupit.ru]https://elektroshtabeler-kupit.ru[/url]

  6. штабелер электрический самоходный
    [url=https://shtabeler-elektricheskiy-samokhodnyy.ru]https://shtabeler-elektricheskiy-samokhodnyy.ru[/url]

  7. xenical information [url=https://xenical.icu/#]orlistat hexal amazon [/url] buy xenical 120mg online uk what are the therapeutic effect of xenical

  8. prednisone high feeling [url=https://prednisone.world/#]prednisone 14 mg [/url] side effects for prednisone 20 mg how does prednisone affect blood tests

  9. ножничный подъемник для склада
    [url=https://nozhnichnyye-podyemniki-dlya-sklada.ru]https://nozhnichnyye-podyemniki-dlya-sklada.ru[/url]

  10. рохля электрическая
    [url=https://samokhodnyye-elektricheskiye-telezhki.ru]https://samokhodnyye-elektricheskiye-telezhki.ru/[/url]

  11. valtrex manufacturer [url=https://valtrexus.com/#]valacyclovir 1000mg over the counter [/url] can you take valacyclovir daily how long does valacyclovir take to work for shingles

  12. электрическая рохля
    [url=https://samokhodnyye-elektricheskiye-telezhki.ru]http://www.samokhodnyye-elektricheskiye-telezhki.ru[/url]

  13. подъемник мачтовый
    [url=https://podyemniki-machtovyye-teleskopicheskiye.ru]https://podyemniki-machtovyye-teleskopicheskiye.ru[/url]

  14. телескопическая вышка
    [url=https://podyemniki-machtovyye-teleskopicheskiye.ru]http://podyemniki-machtovyye-teleskopicheskiye.ru/[/url]

  15. самоходный подъемник
    [url=https://podyemniki-machtovyye-teleskopicheskiye.ru]http://podyemniki-machtovyye-teleskopicheskiye.ru/[/url]

  16. подъемная платформа
    [url=https://gidravlicheskiye-podyemnyye-stoly.ru]https://gidravlicheskiye-podyemnyye-stoly.ru[/url]

Leave a Comment

Name

Email

Website